

धार। जिले सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में देव उठनी एकादशी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास श्रद्धा भक्ति से मनाया गया बरमंडल में गोवर्धन नाथ मंदिर से भगवान सालीग्राम की बारात बग्गी में बैठाकर पुरे नगर में चल समारोह निकाला गया। नगर भ्रमण के पश्चात बारात श्रीराम रामेश्वर धाम मंदिर पहुंची जहां पंडित गजेन्द्र शर्मा ने विधि विधान से माता तुलसी और भगवान सालिग्राम का विवाह सम्पन्न कराया। विवाह समारोह में बड़ी संख्या में महिलाए उपस्थित रहीं।
ऐसी धारणा है कि भगवान विष्णु हर साल आषाढ़ महीने की एकादशी पर सोते हैं और कार्तिक महीने की एकादशी पर जागते हैं। जागने वाली एकादशी को देव प्रबोधिनी कहते हैं।
क्या सच में भगवान इतने दिनों तक सोते हैं? इस बारे में पंडितों का कहना है कि भगवान सोते नहीं, बल्कि योग निद्रा में चले जाते हैं। ये एक तरह का मेडिटेशन होता है। इसे ही आमतौर पर भगवान का सोना कहा जाता है।
भगवान का ये ध्यान हर साल जून-जुलाई में आषाढ़ महीने की एकादशी से शुरू होता है और नवंबर में कार्तिक महीने की एकादशी पर खत्म होता है। तकरीबन चार महीने के इस पीरियड को चातुर्मास कहते हैं।
मान्यता है कि जब भगवान विष्णु शयन करते हैं तब शादियां और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक काम नहीं करते। इस दौरान सिर्फ पूजा-पाठ होती है। भगवान के जागने के बाद ही मांगलिक कामों के लिए मुहूर्त शुरू होते हैं।